विहिप का दवाबः मिशनरीज स्कूलों में अब प्राचार्य और सरस्वती

विहिप के दवाब में मिशनरीज, स्कूलों में मां सरस्वती का चित्र लगाने के लिए भी सहमत हो गए हैं। इसके साथ ही ये विहिप द्वारा सुझाए उन महापुरुषों के भी चित्र लगाएंगे, जिनका राष्ट्र हित में शिक्षा के क्षेत्र में योगदान रहा है। बस्तर के जगदलपुर में एक वक्तव्य में बताया गया है कि रविवार को इन मुद्दों पर दोनों समूहों के बीच बैठक हुई थी।
सुरेश यादव ने कहा, 'हम अपने वक्तव्य पर आज भी स्थिर हैं। हिन्दू विद्यार्थियों की भावना के मद्देनजर फादर को प्राचार्य करने की हमारी मांग लंबे समय से थी। हम लोगों ने मिशनरीज से पूछा था कि फादर का अर्थ क्या होता है? पिता होता है। हिन्दुओं में पिता एक ही होता है। ऐसे में हम शिक्षक को फादर कैसे कह सकते हैं? मिशनरीज ने उत्तर में कहा था कि बाइबल में इसका अर्थ गॉड फादर से हैं। मैंने कहा कि बाइबल एक धार्मिक ग्रंथ है। इसे स्कूलों में क्यों लागू करना चाहते हैं? और अंग्रेजी स्कूलों में शिक्षक को फादर नहीं कहा जाता है। यहां ऐसा क्यों है?'
दूसरी तरफ सुरेश यादव ने कहा, 'सरस्वती को मां कहने में कोई विवाद जैसी स्थिति नहीं है। मां और बहनजी तो आदर के शब्द हैं। हम लोग बुजुर्ग महिला को माताजी कहकर सम्मान देते हैं और किसी भी युवती को बहनजी कहकर आदर देते हैं। हम किसी भी संबोधन से पहले माताएं और बहनें कहते हैं। किन्तु हम किसी को पिता नहीं कहते हैं। बस्तर कैथलिक समुदाय के प्रवक्ता ने कहा कि हमारा किसी को आहत करने का विचार कभी नहीं रहा है। हमने किसी पर कभी भी फादर कहने का दबाव नहीं बनाया। हम लोग अब सरस्वती की मूर्ति लगाने पर भी राजी हो गए हैं।'
हमें, यह मैकाले की नहीं, विश्वगुरु की शिक्षा चाहिए।
आओ, जड़ों से जुड़ें, मिलकर भविष्य उज्जवल बनायें।।- तिलक