समाज शिक्षा युवा, चेतना दर्पण,
आज समान शिक्षा प्रणाली की आवश्यकता है। उत्तर प्रदेश परीक्षाओं में ‘नकल की संस्कृति’ के लिये सरकारें ही नहीं, बल्कि समाज भी दोषी है। सरकारों ने जिस तरह से दायित्व निभाना चाहिये था, वह निर्वहन नहीं किया। यदि किया होता तो सबको समान और सभी को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिल जाती।यदि हम आधारिक, माध्यमिक और उच्च शिक्षा को मौलिक शिक्षा का सम्बल दें, तो परिणाम में बहुत सुधार होंगे। विगत में मौलिक शिक्षा को भारतीय शिक्षा के नाते सांप्रदायिक मान उपेक्षित करने से शिक्षा का स्तर और उद्देश्य दोनों में नकारात्मकता बड़ी, अब नए चिंतन एवं शिक्षा का परिदृश्य बदल जाएगा।’’
सभी नौकरियों के लिये कराई जाने वाली परीक्षा में उत्तीर्ण होना तथा नौकरियाँ पाना ही एकमात्र लक्ष्य रह गया है। शिक्षा और समय पर रोजगार में असफलता युवाओं को अवसाद या अपराध की और धकेलती है। आज देश में शिक्षा, जिन बच्चों की प्रेरणा और आवश्यकता नहीं बन पाती, समाज के शत्रुओं ने उन्हें व्यसनों से जोड़ दिया, जो दोहरा आघात है।
हम युवाओं की उर्जा को सही समय पर हम उपयोग नहीं कर पाते हैं। दूसरा वे घर समाज के लिए बोझ बन जाते है। शरीर रोगवान हो कर, चिकित्सा व्यय, समय, ऊर्जा, क्षमता, धन, सर्व विनाश का विकराल रूप, यह हमारी विगत की सरकारों ने, रोकने में नहीं, बढ़ाने वालों का साथ दिया। अभी मात्र सत्ता बदली है, "देश की व्यवस्था और इसे नियंत्रित करने वाला, संविधान और समाज की सोच" बदलना आवश्यक है, तभी वांच्छित परिणाम की अपेक्षा कर सकते हैं।
उपरोक्त चिंतन, हमारे ब्लॉग समाजदर्पण, शिक्षा दर्पण, युवा दर्पण, चेतना दर्पण, में 2010 से दिया जा रहा है। YDMS के विविध 30 ब्लॉग का विस्तार 70 देशों तक है। समाज, शिक्षा, युवा, व्यसनों से चेतना, के प्रति जागृति का निरंतर अलख YDMS
স্বদেশ প্রত্যাবর্তন, ફર્યાનો, ಮರಳುತ್ತಿರುವ, தாயகம் திரும்பும், హోమ్కమింగ్, ഘര് വപ്സി, ਪਲੀਤੀ, گھر واپسی
हमें, यह मैकाले की नहीं, विश्वगुरु की शिक्षा चाहिए।
आओ, जड़ों से जुड़ें, मिलकर भविष्य उज्जवल बनायें।।- तिलक